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सड़क किनारे चूड़ी बेचने वाला कैसे बना IAS अधिकारी जानिए रमेश घोलप के संघर्ष की कहानी

IAS Ramesh Gholap Success Story : कहते हैं कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती !  इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं Indian Administrative Service अधिकारी रमेश घोलप उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब उनके पास अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भी पैसे नहीं थे ! इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी मां के साथ चूड़ियां तक ​​बेचीं ! लेकिन कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत उन्होंने Union Public Service Commission की परीक्षा पास की और आईएएस बनने का सपना पूरा किया !

IAS Ramesh Gholap Success Story

IAS Ramesh Gholap Success Story

IAS Ramesh Gholap Success Story

Indian Administrative Service अधिकारी रमेश घोलप बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए थे ! जब वह छोटे थे तो उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया था ! इतना ही नहीं, उनके घर में आर्थिक तंगी भी थी ! जिसके चलते वह अपनी मां के साथ सड़क पर चूड़ियां बेचा करते थे ! रमेश के पिता की एक छोटी सी साइकिल की दुकान थी !

एक दिन उनके पिता की तबीयत खराब हो गई और घर का पूरा बोझ उनकी मां के कंधों पर आ गया ! आईएएस अधिकारी रमेश घोलप ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही प्राप्त की है ! जिसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के घर चले गए !

IAS Ramesh Gholap Success Story घर जाने के लिए नहीं थे पैसे

जब वह 12वीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया ! उस समय रमेश के चाचा के घर से उनके घर तक का किराया मात्र 7 रुपये था, लेकिन दिव्यांग होने के कारण उन्हें मात्र 2 रुपये ही किराया देना पड़ा ! लेकिन आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि उनके पास 2 रुपये भी नहीं थे ! 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने डिप्लोमा में एडमिशन ले लिया ! इसके बाद वे बतौर शिक्षक पढ़ाने लगे ! पढ़ाने के दौरान ही उन्होंने बीए की डिग्री भी हासिल की !

पहले प्रयास में हुए असफल

जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया और उन्होंने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी ! साल 2010 में उन्होंने पहली बार Union Public Service Commission के लिए प्रयास किया लेकिन वे इसमें असफल रहे ! तब उनकी मां ने गांव के लोगों से कुछ पैसे उधार लिए और उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर भेज दिया ! पुणे जाकर उन्होंने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी ! आखिरकार उन्होंने साल 2012 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली ! इस परीक्षा में उन्होंने 287वां रैंक हासिल किया ! दिव्यांग कोटे के तहत रमेश घोलप को आईएएस कैटेगरी मिली थी !

मां और भाई के साथ एक कमरे में रहते थे-

रमेश के चाचा के पास दो कमरे थे ! रमेश अपने भाई और मां के साथ एक कमरे में रहता था ! रमेश ने 12वीं में 88.50 प्रतिशत अंक हासिल किए थे ! इसके बाद उसने डिप्लोमा किया और रमेश गांव के एक स्कूल में पढ़ाता था ! इससे उसकी कुछ आमदनी हो जाती थी और घर का खर्च चलता था !

IAS Ramesh Gholap Success Story बनने का सपना हुआ पूरा

रमेश की मां को समूह ऋण योजना के तहत 18 हजार रुपये मिले थे ! यह ऋण मिलने के बाद रमेश ने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान यूपीएससी की तैयारी पर लगा दिया ! वर्ष 2012 में रमेश ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी ! लेकिन पहले प्रयास में उसे सफलता नहीं मिली !

रमेश ने हार नहीं मानी और दोबारा प्रयास करने का फैसला किया ! उसने कड़ी मेहनत की और वर्ष 2012 में फिर से Union Public Service Commission की परीक्षा दी ! इस बार रमेश घोलप परीक्षा में सफल हो गया ! उसने विकलांग कोटे के तहत 287वीं रैंक हासिल की ! ​​रमेश घोलप को झारखंड कैडर में पदस्थापित किया गया ! रमेश कोडरमा, सरायकेला और गढ़वा के जिलाधिकारी रह चुके हैं !

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About the author

Vishal Hariyale

नमस्ते! मेरा नाम विशाल हरियाले है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 4 साल का अनुभव है | पिछले 4 साल से विभिन्न वेबसाइट पर अपनी सेवाएं दे रहा हु | मै पर्सनल फाइनेंस, बिज़नेस से सम्बंधित आर्टिकल्स लिखता हु |
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