हिन्दू धर्म में महिलाएं क्यों नहीं जाती हैं श्मशान घाट , जानें यहाँ | GK In Hindi General Knowledge : हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे श्मशान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है ! आपने देखा होगा कि महिलाएं कभी भी श्मशान घाट नहीं जाती हैं ! क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण है जब भी कोई पुरुष या महिला मरती है तो महिलाओं का योगदान घर की चौखट तक ही सीमित होता है ! लेकिन श्मशान घाट पर सभी रस्में पुरुषों द्वारा ही पूरी की जाती हैं ! तो आइए जानते हैं कि महिलाएं श्मशान घाट क्यों नहीं जाती हैं ! इसके पीछे पांच मुख्य कारण हैं !
हिन्दू धर्म में महिलाएं क्यों नहीं जाती हैं श्मशान घाट , जानें यहाँ | GK In Hindi General Knowledge
जब धार्मिक आस्था की बात आती है तो इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह लोगों की परंपराओं से जुड़ा हुआ है ! दुनिया में कई चीजें सही और गलत की श्रेणी में आती हैं, लेकिन आस्था को इस श्रेणी में लाना सही नहीं है क्योंकि यह लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है और भावनाएं न तो गलत होती हैं और न ही सही, वे इससे परे होती हैं ! ऐसी ही एक आस्था सनातन धर्म में महिलाओं से जुड़ी हुई है ! आपने देखा होगा कि जब किसी की मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए उसे श्मशान घाट ले जाया जाता है !
महिलाएं श्मशान घाट क्यों नहीं जाती हैं
गरुड़ पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमज़ोर दिल वाला माना जाता है ! ऐसा माना जाता है कि अगर कोई शव को जलाते समय रोता है, तो उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती है ! महिलाओं के लिए जलते हुए शव को देखना और रोना लगभग असंभव लगता है, इसलिए महिलाओं के लिए शव को श्मशान ले जाना वर्जित माना जाता है !
शमशान में कुछ और भी चीज़ें होती हैं जिन्हें देखना महिलाओं और बच्चों के लिए उचित नहीं है ! जैसे शव को जलाने से पहले उसकी खोपड़ी पर डंडे से वार किया जाता है, जो एक परंपरा का हिस्सा है ! लेकिन महिलाओं और बच्चों के लिए यह दृश्य देखना मानसिक रूप से भी उन्हें प्रभावित कर सकता है ! कई बार जलते समय शव अकड़ जाता है और शोर मचाता है जिससे महिलाएं और बच्चे डर भी सकते हैं, इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखा जाता है !
क्या कहता है गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण में वर्णित मान्यताओं में से एक यह भी है कि शव को ले जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध करना बहुत ज़रूरी होता है ! इसके लिए घर पर किसी का रहना और पूरे रीति-रिवाज़ से यह काम करना ज़रूरी होता है ! महिलाएं इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं ! यही सोचकर पुरुषों को श्मशान जाकर शव का दाह संस्कार करने की जिम्मेदारी दी गई है और महिलाओं को जिम्मेदारी का दूसरा पहलू पूरा करने के लिए जिम्मेदार माना गया है, जो पुरुष के घर आने के बाद महिलाएं करती हैं, उसे नहलाना और शुद्ध करना !
इसके पीछे एक और कारण यह है कि जब शव को जलाया जाता है ! तो वातावरण में कीटाणु फैल जाते हैं जो शरीर के कोमल अंगों पर चिपक सकते हैं और बीमारी का कारण बन सकते हैं ! इसलिए ऐसा किया जाता है ताकि उनके शरीर पर चिपके कीटाणु और नकारात्मक ऊर्जा घर के बाहर ही रह जाएं !
इसलिए महिलाओं को श्मशान जाने से मना किया जाता है
हिंदू धर्म पर आधारित कुछ अन्य कारणों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि श्मशान में बुरी आत्माएं निवास करती हैं जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं और विशेष रूप से कुंवारी लड़कियों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं ! यह एक प्रचलित मान्यता है कि कुंवारी महिलाओं पर बुरी शक्तियां अधिक प्रभाव डालती हैं और उन्हें नियंत्रित करके उनके शरीर में प्रवेश कर जाती हैं ! महिलाओं को बुरी आत्माओं के भयानक प्रभावों से बचाने के लिए श्मशान घाट पर जाने से मना किया जाता है !
हिंदू धर्म की संस्कृति के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि जो भी परिवार का सदस्य श्मशान घाट जाता है ! अंतिम संस्कार प्रक्रिया में भाग लेता है, उसे अपना सिर मुंडवाना पड़ता है ! इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए, महिलाओं को श्मशान घाट पर जाने की अनुमति नहीं है !
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