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छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है | GK In Hindi General Knowledge

छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है | GK In Hindi General Knowledge : छिपकलियों के पास कोई प्राकृतिक बचाव हथियार नहीं है, इसीलिए जब वे किसी मजबूत शिकारी से भिड़ती हैं, तो वे अपनी पूंछ गिरा देती हैं ! जब पूंछ फड़फड़ाती है, तो यह शिकारी का ध्यान भटकाती है और छिपकली इस समय का उपयोग भागने के लिए करती है ! पूंछ गिराने में बहुत सारी ऊर्जा नष्ट हो जाती है ! छिपकली वापस आकर पूंछ खा सकती है ! इस तरह छिपकली अपनी पूंछ गिराने में खोई हुई ऊर्जा को वापस पा सकती है, जिससे बहुत अधिक चर्बी जमा हो जाती है !

छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है | GK In Hindi General Knowledge

छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है

GK छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है

छिपकली की पूंछ में कमज़ोरी की एक रेखा होती है जिसे फ्रैक्चर प्लेन कहते हैं, जब भी उसे इस बिंदु पर तनाव या कुछ भी असामान्य महसूस होता है, तो वह उस बिंदु से ही टूट जाती है जिसे हम रिफ्लेक्स मसल स्पैज़्म कहते हैं ! और उस पूंछ के कंकाल की जगह एक कार्टिलेज रॉड विकसित होती है जो उसकी रीढ़ की हड्डी से ही बढ़ती है और यह कुछ छोटी और हल्के रंग की होती है !

GK In Hindi छिपकलियां अपनी पूंछ गिराती हैं

आपको बता दें कि ऐसा सिर्फ़ दबाव पड़ने पर ही नहीं होता, बल्कि छिपकलियां खुद ही अपनी पूंछ गिराती हैं ! अब आप कहेंगे कि ऐसा कैसे संभव है ! दरअसल छिपकली के पास खुद को बचाने के लिए कोई प्राकृतिक हथियार नहीं होता है, इसलिए जब उसका सामना अपने से बड़े शिकारी से होता है, तो वह अपनी पूंछ गिरा देती है ! ऐसा वह इसलिए करती है ताकि शिकारी का ध्यान भटक जाए और वह समय रहते बचकर निकल जाए !

General Knowledge वह वापस आकर अपनी पूंछ भी खाती है

हालाँकि, पूंछ गिराते समय उसकी बहुत सारी ऊर्जा नष्ट हो जाती है ! ऐसे में कई बार छिपकली वापस आकर अपनी पूंछ खा लेती है ! ताकि वह जल्द से जल्द खोई हुई ऊर्जा वापस पा सके ! आपको बता दें कि छिपकली की पूंछ में बहुत अधिक चर्बी जमा होती है !

छिपकली की पूँछ कटने के बाद भी क्यों हिलती रहती है वैज्ञानिक कारण

इसे जीव विज्ञान में ऑटोटॉमी या स्व-विच्छेदन कहा जाता है ! ऐसा केवल छिपकलियों में ही नहीं बल्कि अन्य उभयचरों, सरीसृपों और अकशेरुकी (अधिकांश) में भी होता है क्योंकि इन जीवों में पुनर्जनन की क्षमता होती है, जिसका अर्थ है कि वे उस अंग को फिर से विकसित कर सकते हैं ! और सभी में समय अवधि अलग-अलग होती है ! छिपकलियों में यह छह महीने से एक साल के बीच में फिर से विकसित होता है ! यहाँ हम विशेष रूप से छिपकलियों के बारे में बात करेंगे !

दबाव महसूस होने पर पूंछ अलग हो जाती है

छिपकली की पूंछ में कमज़ोरी की एक रेखा होती है जिसे फ्रैक्चर प्लेन कहते हैं, जब भी उसे इस बिंदु पर तनाव या कुछ भी असामान्य महसूस होता है, तो वह उस बिंदु से अलग हो जाती है जिसे हम रिफ्लेक्स मसल स्पैज्म कहते हैं ! और उस पूंछ के कंकाल की जगह पर एक कार्टिलेज रॉड विकसित होती है जो उसकी रीढ़ की हड्डी से बढ़ती है और यह कुछ छोटी और हल्के रंग की होती है !

GK In Hindi General Knowledge कटने के कारण उनमें खून की कमी नहीं होती

यह प्रक्रिया प्रकृति की देन है जिसकी मदद से वह अपना बचाव करती है ! इससे उसे खून की कमी नहीं होती ! और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि चूँकि उस पूंछ में रक्त संचार कुछ समय तक बना रहता है! इसलिए कटी हुई पूंछ कुछ समय तक हिलती रहती है !

इससे दुश्मन को छिपकली होने का भ्रम हो जाता है और वह इस आपातकालीन स्थिति से बच निकलता है ! पुनर्जनन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीवों के खोए या कटे हुए शरीर के अंग फिर से उग आते हैं ! उदाहरण के लिए छिपकली, ऑक्टोपस, स्टारफिश, एक्सोलोटल्स, सैलामैंडर आदि जीवों के शरीर में पुनर्जनन की अनोखी क्षमता पाई जाती है ! जिसके कारण इनके शरीर के अंग कट जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने पर पुनः उग आते हैं !

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Vishal Hariyale

नमस्ते! मेरा नाम विशाल हरियाले है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 4 साल का अनुभव है | पिछले 4 साल से विभिन्न वेबसाइट पर अपनी सेवाएं दे रहा हु | मै पर्सनल फाइनेंस, बिज़नेस से सम्बंधित आर्टिकल्स लिखता हु |
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